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लल्लागुडा में स्थित दमरे के सवारी डिब्बा कारखाना की स्थापना, 1893 में निजाम राज्य रेलवे (एनएसआर) के लोकोमोटिव, सवारी डिब्बा और वैगन कारखाना के रूप में की गई थी. हैदराबाद सरकार ने 1930 में रेलवे का प्रत्यक्ष नियंत्रण संभाला और इसका नाम निजाम गारंटीकृत राज्य रेलवे (एनजीएसआर) के रूप में बदला गया.
लालागुडा कारखाना कांप्लेक्स, नगर द्वय में स्थित आधुनिक औद्योगिक वास्तुकला के एक प्राचीन सजीव उदाहरणों में से एक है. यह राज्य में प्रमुख उद्योग की शुरुआत का एक संकेतक है. कारखाने के शुभारंभ के समय से लेकर कुछ संरचनाएं, आज भी उपयोग में हैं. यह क्षेत्र हमें न केवल एक शताब्दी से अधिक के औद्योगिक प्रगति की झलक प्रदान करता है बल्कि बीते युग के विरासतों का भंडार भी है. रेल के इतिहास से संबंधित मरम्मत किए गए वैगन, डिब्बे और विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों को संरक्षित कर इन्हें यहां प्रदर्शनार्थ रखा गया हैं. इनमें से उल्लेखनीय है कि यहां पर सावधानी पूर्वक 1886 के विशिष्ट डिब्बों को संरक्षित रखा गया है.
दक्षिण मध्य रेलवे का गठन 2 अक्टूबर 1966 को हुआ था तथा लालागुडा कारखाना इस जोन का एक प्रमुख कारखाना बना. वर्ष 1973 तक यह एमजी / बीजी रोलिंग स्टॉक के लिए एकमात्र कारखाना रहा. भाप इंजन के चरणबद्ध तरीके से हटने के परिणामस्वरूप, कारखाने में सभी प्रकार के बीजी डिब्बों का पीओएच किया जाने लगा, इसलिए वर्ष 1997 में इसका नाम "सवारी डिब्बा कारखाना" के रूप में बदला गया है.
स्थान: कैरिज वर्कशॉप, लालगुडा, सिकंदराबाद, दक्षिण मध्य रेलवे। (Map Location)

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