सिगनल व दूरसंचार कारखाना, मेट्टुगुडा का इतिहास |
1916 - 1950 | निज़ाम राज्य रेलवे के लिए 36.638 वर्ग मीटर के कुल क्षेत्रफल में इस कारखाने की स्थापना की गई इसका आवरित क्षेत्र 12,800 वर्ग मीटर था और यह इंजीनियरिंग विभाग के लिए एक छोटे मरम्मत यूनिट के रूप में कार्य करता था. |
1951-1956 | सिगनल व दूरसंचार विभाग के अंतर्गत गठित इस कारखाने को मध्य रेलवे ने ले लिया और पहला विस्तारण कार्य स्वीकृत किया गया |
1960 | श्री मरीन टेरेलियस – स्वीडन के एक विशेषज्ञ ने इस कारखाने का अध्ययन किया और विद्युत सिगनल मदों के उत्पादन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. |
1961 | सिगनल उपस्करों का उत्पादन 28 लाख ₹.प्रति वर्ष तक पहुंच गया |
1964 | श्री तोशियो वतनबे - एक जापानी उत्पादन विशेषज्ञ, नए मदों का आरंभ करने के लिए लगभग छह महीनों तक इस कारखाने से जुड़ें रहे. |
1966 | दक्षिण मध्य रेलवे का गठन हुआ और कारखाना इस रेलवे के क्षेत्राधिकार में आ गया. रेलपथ रिकार्डिंग कारों की ट्रैक रिकॉर्डिंग सुविधा को आरंभ किया गया और उत्पादन शुरु हुआ. |
1969-74 | जिंक तत्वों के उत्पादन तरीकों को विकसित करने में कारखाना सफल रहा. विद्युत सिगनल उपस्करों का उत्पादन बढ़ गया. इस रेलवे की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न ओवरहॉलिंग सेक्शन स्थापित किए गए. |
1974 -75 | कारखाने का टर्नओवर 100 लाख ₹. पार कर गया |
1977-78 | विद्युत से प्रकाशित सिगनल लैंपों का उत्पादन आरंभ हुआ. |
उत्पादन 200 लाख ₹. से अधिक हो गया |
1981-82 | उठान फाटकों का निर्माण किया गया और भारतीय रेल निर्माण कंपनी के जरिए नाइजीरियन रेलवे को सप्लाई किया गया. |
1985-86 | उत्पादन में 250 लाख ₹. का एक नया रिकॉर्ड हासिल हुआ. रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार जिंक तत्वों के उत्पादन को 8,000 से 15,000 प्रति माह तक बढाया गया. |
टी -43 ट्रंक बोर्ड विकसित किए गए और उनका उत्पादन आरंभ किया गया. |
क्षेत्रीय रेल प्रशिक्षण संस्थान/ मौला अली में छात्रों के लिए लाइव पैनल इंटरलाकिंग प्रदर्शन मॉडल का निर्माण किया गया . |
1989-96 | नीलस टेबलेट ब्लॉक उपकरण का निर्माण किया गया और बाद में उत्पादन शुरू हो गया. आरडीएसओ का अनुमोदन प्राप्त किया गया. |
1996-97 | डोमिनो टाइप के स्टेशन पैनलों का निर्माण किया गया और गुंतकल मंडल को भेजा गया. |
Domino type station panel’s were manufactured and sent to GTL division. |
1997-02 | प्रेस टाइप बूम लॉक विकसित किए गए और निर्माण शुरू किया गया. |
आरडीएसओ द्वारा संशोधित आरेख के अनुसार एल एम-55 पॉइंट मशीन स्लाइड का निर्माण किया गया और सफलतापूर्वक स्लाइड को बदला गया. |
2002-2005 | विद्युत से परिचालित उठान फाटक का विकास किया गया तथा प्रोटोटाइप गेट बनाया गया और मौला अली के समपार फाटक सं. 2 पर लाइफ टेस्ट के लिए स्थापित किया गया. |
2005-2006 | 1.विद्युत से परिचालित उठान फाटक के लिए आरडीएसओ सेआरंभिक स्वीकृति प्राप्त की गई. |
2.एसजीई संशोधित डबल-लाइन ब्लॉक उपकरण (पीटीजेप्रकार) को विकसित किया गया औरआरडीएसओ का अनुमोदन प्राप्त किया गया. |
3.एसएम स्लाइड नमूने को विकसित किया गया और आरडीएसओ / लखनऊ द्वारा प्रारंभिक |
अनुमोदन दिया गया. |
4.अनुमोदन की तारीख से उपर्युक्तसभी मदों का नियमित उत्पादन आरंभ हो गया |
5.स्टेशन पैनल और समपार फाटक पैनलों का उत्पादन आरंभ किया गया. |
6.सभी एसजी और नान एसजी मदों के अनुमत समय में 5% की कमी के परिणामस्वरूप समय और श्रमशक्ति की बचत हुई और सरंडर के बावजूद वर्ष 2005-2006 में 18.13 करोड़ रु. का रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त हुआ. |
2019-2020 | नई वस्तुएं विकसित और आरंभ की गईं जो वर्तमान बाजार दरों से सस्ती हैं: |
1.लैन एक्सटेंडर - 30 एमबीपीएस. |
2.खराबी चेतावनी प्रणाली |
3.ई1 (ओएफसी) के लिए ऑटो चेंज ओवर स्विच और डिजिटल एक्सल काउंटर के लिए कॉपर केबल. |
4.जीपीएस सिंक के साथ प्लैटफॉर्म क्लॉक. |
5.यात्री उद्घोषणा प्रणाली |
6.आरडीएसओ विशिष्टि: टीसी -61 / 2005 के अनुसार कोच गाइडेंस बोर्ड |
7.गेट उद्घोषणा प्रणाली |
8.सिगनल पोस्ट माउंटिंग (उत्थापन) यूनिट |
9.लॉग रैंज वाली एलईडी टॉर्च |
10.तीन रंगों वाला एलईडी लैंप |
11.एलईडी आधारित चेतावनी और वर्क लाइट |
12.एलईडी आधारित तार रहितछोटा निरीक्षण लैम्प |