-दमरे के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक पार्सल राजस्व दर्ज किया गया.
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रेल मंत्रालय (टैरिफ और गैर-टैरिफ दोनों में रियायतों सहित) द्वारा आरंभ की गई नीतिगत पहल के साथ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला मजबूत बनी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए जोन के केंद्रित दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप दक्षिण मध्य रेलवे ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक का अपना उच्चतम पार्सल राजस्व दर्ज किया है. कोविड-19महामारी से उत्पन्न चुनौतियों पर काबू पाते हुए, ज़ोन ने वर्ष 2020-21 में अर्जित 108.3 करोड़ रु के कुल वार्षिक पार्सल राजस्व की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2021-2022 (19 मार्च 2022 तक) 4.78 लाख टन पार्सल लदान करते हुए 200 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित किया.
भारतीय रेल द्वारा आरंभ की गई विभिन्न ग्राहक अनुकूल पहल जैसे पार्सल स्थल की अग्रिम बुकिंग सुविधा, समय सारिणी वाली पार्सल गाड़ियां तथा मंडल स्तर और जोनल स्तर पर स्थापित व्यवसाय विकास इकाइयों (बीडीयू) टीमों के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप मौजूदा यातायात को बनाए रखते हुए तथा यातायात को सड़क से रेल की ओर आकर्षित करते हुए और अधिक नए यातायात को प्राप्त करने में सहायता मिली है.
इसके अतिरिक्त, रेलवे द्वारा आरंभ की गई नवीन अवधारणाएं जैसे कि किसान रेल - देश भर में कृषक समुदाय की सहायता के लिए, जिससे कि वे अपने कृषि उत्पादों को उचित रूप से सस्ती परिवहन लागत पर परिवहन कर सकें तथा बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए विपणन के नए बाजार तलाश कर सकें और दूध दुरंतो (एकमात्र दूध स्पेशल गाड़ी) – जिसने ऐसी आवश्यक वस्तु, जो जल्दी खराब होती है अर्थात दूध को राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन गाड़ियों से व्यापारियों, कार्गो ऑपरेटरों और किसानों, विशेष रूप से उन लोगों को बहुत मदद मिली है, जो नियोजित कार्यक्रम के अनुसार संरक्षित, सुरक्षित, किफायती और सबसे तेज़ माध्यम से कम मात्रा में अपनी खेप का परिवहन करते हैं.
इन सभी कारकों ने ज़ोन को अब तक का सर्वाधिक पार्सल राजस्व दर्ज करने में बहुत योगदान दिया. जोन ने देश के विभिन्न हिस्सों के लिए 1.57 लाख टन कृषि कमोडिटी के लदान के लिए 473 किसान स्पेशल गाड़ियां चलाई हैं और 72.67 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है. दूध दुरंतो - राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली तक दूध के परिवहन के लिए कोविडलॉकडाउन के दौरान ज़ोन द्वारा आरंभ की गई नई पहल द्वारा इस वित्तीय वर्ष में 7.22 करोड़ लीटर दूध का परिवहन किया गया, जिससे 34.03 करोड़ रु. राजस्व अर्जित हुआ. यह पूर्व-कोविड परिवहन किए गए दूध की औसत मात्रा से दोगुना से अधिक है. इसके अतिरिक्त, गैर-पट्टा यातायात से 73.62 करोड़ रुपये अर्जन हुआ,जिसमें पार्सल का नियमित यात्री गाड़ियों और समय-सारिणी बद्ध पार्सल विशेष गाड़ियों दोनों द्वारा लदान किया गया. इसके अलावा, 62 एसएलआर और 5 पार्सल वैन में पार्सल स्थान को पट्टे पर देने से 20.08 करोड़ रु. राजस्व का अर्जन हुआ.
श्री संजीव किशोर, महाप्रबंधक, दक्षिण मध्य रेलवे ने इस अवसर परदक्षिण मध्य रेलवे के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक पार्सल राजस्व प्राप्त करने के लिए परिचालन और वाणिज्य विभाग के जोनल और मंडल टीमों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की. उन्होंने टीमों से कहा कि वे आगे भी इसी गति को बनाए रखें ताकि देश के कोने-कोने तक वस्तुओं के परिवहन में, विशेष रूप से छोटे और मझौले मालवाहकों की सहायता जारी रहे.