सिगनल व दूरसंचार विभाग
विजयवाड़ा मंडल – सिगनल व दूरसंचार संगठन
सिगनल व दूरसंचार विभाग की भूमिका
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1.0 सिगनलिंग
1.1 बहु आयामी रंगीन बत्ती सिगनलिंग (एम ए सी एल)
सेमाफोर प्रकार के यांत्रिक सिगनलों को प्रगतिशील रूप से बहु आयामी रंगीन बत्ती सिगनलों (एम ए सी एल) को विद्युत सिगनलों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है. एमएसीएल सिगनलों में बेहतर दृश्यता, त्वरित संचालन और कम रखरखाव की आवश्यकता है.
1.2.1 सिगनल नियंत्रण प्रणाली में रूट रिले अंतर्पाशन (आर आर आई) और केंद्रीय नियंत्रण पैनल:
केवल नॉबोंऔर रूट बटनों के संचालन के द्वारा, मार्गों को स्वचालित रूप से सेट किया जाता है और पूर्ण सुरक्षा के साथ सिगनलों को क्लियर किए जाते हैं. संपूर्ण स्टेशन रेलपथ परिपथित है. छोटे यार्डों में अलग-अलग नॉब/स्लाइड द्वारा पॉइंट तथा सिगनल संचालित होते हैं.
1.2.2 पैनल अंतर्पाशन प्रणाली
रूट रिले इंटरलॉकिंग जैसे ही, पैनल अंतर्पाशन में पॉइंटों तथा सिगनलों को अलग-अलग रूप में प्रचालित किए जाते है. इसे छोटे वे साइड स्टेशनों में लागू किया जा रहा है.
1.2.3 सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग
तकनीकी विकास के रूप में, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम वाले सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग के साथ सॉलिड स्टेट, सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग प्रणाली को अब खर्च कम करने तथा लचीलेपन को प्राप्त करने के लिए शामिल किया जा रहा है. यह परिष्कृत माइक्रोप्रोसेसर आधारित इंटरलॉकिंग प्रणाली माइक्रोप्रोसेसर उपकरणों और सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग के माध्यम से काम करती है. इस प्रणाली में रिले की संख्या कम होती है, और बिना अतिरिक्त वायरिंग के यार्ड में परिवर्तन/परिवर्धन संभव है.
1.3 निरंतर ट्रैक सर्किटिंग के साथ-साथ स्वचालित ब्लॉक सिगनलिंग
स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली का उपयोग ज्यादातर तब किया जाता है जब गाड़ी यातायात अधिक भीड़ और व्यस्त हो जाता है, खासकर उपनगरीय क्षेत्र में और लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए. इससे ब्लॉक संचालन को हटा देता है और मानव तत्व पर अधिक निर्भरता के बिना गाड़ियों को स्वचालित रूप से सिगनल दिया जाता है. यह गाड़ियों की सुरक्षा, गति सुनिश्चित करता है और पटरी में किसी भी दरार का भी पता लगाता है.
1.4 टोकन रहित ब्लॉक संचालन
इकहरी लाइन में संपूर्ण ब्लॉक प्रणाली में, टोकन ब्लॉक उपकरणों का उपयोग किया जाता है. ब्लॉक सेक्शन में प्रवेश करने के लिए लाइन क्लियर प्रदान करने के बाद गाड़ी के ड्राइवर को टोकन सौंप दिया जाएगा. हर स्टेशन पर टोकन सौंपने की प्रक्रिया समय लेने वाली और श्रमसाध्य है जिसके परिणामस्वरूप टोकन गायब होने की संभावना है. टोकन रहित ब्लॉक संचालन इकहरी लाइन सेक्शनों पर लाइन की क्षमता बढ़ाने में मदद करती है.
1.5 रंगीन बत्ती सिगनलिंग के लिए एल ई डी सिगनल (एल ई डी)
इससे पहले रंगीन बत्ती सिगनलों में बत्तियों के पहलुओं को इनकैंडेनसेंट बल्बों द्वारा जलाया जाता था. ये बल्ब सीमित अवधि तक ही काम करते हैं और पुराने हो जाने और वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के कारण ये खराब हो जाते हैं. बल्बों को बार-बार बदलना पड़ता था. विकसित प्रणाली के रूप में, विजावाड़ा मंडल में इनकैंडीसेंट बल्बों को एलईडी लाइट के साथ बदल दिया गया था. एलईडी सिग्नल अधिक समय तक काम करने तथा बेहतर दृश्यता वाले होते हैं. इस प्रकार के सिगनल ने सिगनल लैंप फ्यूज़िंग के मामलों को कम करके विश्वसनीयता को बढ़ाया है. यह ड्राइवरों को अच्छी दृश्यता भी देता है और अधिक सिगनलों को एलईडी सिगनलों में परिवर्तित करने की संभावना है.
1.6 रेलपथ परिपथन
रेलपथ परिपथ, ट्रैक पर गाड़ी की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगाता है. यह सिगनलिंग प्रणाली का मुख्य अंग है. यह मानवीय तृटियों के मामलें में गाड़ी की सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित करता है. ट्रैक की क्षमता के अधिक उपयोगिता के कारण, यह गाड़ी सेवाओं के लिए सुरक्षित, तेज गति और संचालन में समयपालन को सुनिश्चित करता है.
1.7 समपार
सभी कर्मचारी रहित फाटकों की संरक्षा के लिए कर्मचारी सहित बनाने की प्रक्रिया की गई है जहाँ निकटतम स्टेशनों से टेलीफोन की सुविधा प्रदान की गई ताकि जब गाड़ी मानवसहित फाटकों के पास आने से पहले ही फाटक को बंद किया जा सकता है. गाड़ियों तथा सड़ क प्रयोक्ताओं की संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्रैन वेहिकल यूनिट (टीवीयू) के आधार पर समपार फाटकों के अंतर्पाशन कार्य किया जा रहा है.
1.8 डाटा लॉगरों कानेटवर्किंग
यह एक आधुनिक उपकरण है जिसका उपयोग पैनल इंटरलॉक/रूट रिले अंतर्पाशन संस्थापनों में स्थापित रेलपथ परिपथ, पाइंट, सिगनल, बैटरी चार्जर, बैटरी आदि जैसे उपकरणों के महत्वपूर्ण कार्यों के संचालन की निगरानी के लिए किया जाता है. यह माइक्रोप्रोसेसर आधारित उपकरण है जो फील्ड और रिले रूम में विभिन्न कार्यों की स्थिति परिवर्तन घटनाओं की प्रविष्टि करती हैं और समय भी रिकार्ड करती हैं. यह डाटा लागर, ड्राइवर द्वारा खतरे की सिगनल को ऑन पर पार करने के मामलों का पता लगाने और दुर्घटनाओं के मामलों में महत्वपूर्ण सुराग देने के लिए उपयोगी उपकरण है. यह डाटा लागर सिगनलिंग उपकरणों के कार्य निष्पादन के बिगड़ने के संबंध में संभाव्य अनुरक्षण उपकरण के रूप में भी किया जाता है.
1.9 समग्र पॉवर सप्लाई प्रणाली (आईपीएस)/गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
अधिक से अधिक आधुनिक विद्युत सिगनलिंग प्रणालियों के उपयोग के कारण पॉवर सप्लाई पर अधिक निर्भर हो जाते है. विश्वस्त पॉवर सप्लाई प्राप्त करने के लिए, समग्र पॉवर सप्लाई (आईपीएस) का ईजाद किया गया जहाँ अलग-अलग सिगनल पॉवर सप्लाई जैसे 110एसी, 110वी डीसी, 24डीसी आदि कामन प्रणाली से प्राप्त की गयी, जो कॉमन बैटरी अर्थात डीसी-डीसी कनवर्टर, मॉड्यूलर पॉवर पैक पर काम करता है. यह आईपीएस विशेषकर रेलवे विद्युतीकरण क्षेत्र में सिगनलिंग प्रणाली के कार्य को विस्तृत किया.
2.0 दूर संचार
2.1.गाड़ी नियंत्रण संचार:
निकटतम मंडल के मुख्यालय से नियंत्रक द्वारा हर एक प्रत्येक गाड़ी के संचलन पर निगरानी रखी जाती है. मंडल के मुख्यालय से ड्राइवर या गार्ड के बीच संचार के लिए पोर्टबल टेलीफोन की व्यवस्था किया गया है, जिससे, सेक्शन में हर कि.मी पर उपलब्ध कराये गये आपातकालीन टेलीफोन सॉकेट से आसानी से जुड हो जाता है. प्रत्येक गाड़ी के गार्ड डिब्बे में एक आपातकालीन पोर्टबल टेलीफोन रखा जाता है.
2.2 ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क
एक विश्वसनीय और शोर मुक्त संचार प्रदान करने के लिए ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क बिछाई गयी है. रेलवे नियंत्रण संचार के लिए ओएफसी नेटवर्क को विस्तृत रूप में उपयोग किया जा रहा है जो रेलेवे टेलीफोन एक्सचेंज से जुडे सभी लंबी दूरी के हाई बैंड विड्थ सर्किट का लाभ उठाता है. यात्री आरक्षण प्रणाली, अनारक्षित टिकट प्रणाली, नेटवर्क मालभाड़ा प्रचालन प्रबंधन प्रणाली आदि रेलवे ओएफसी के माध्यम से अंतरित किया जाता है.
2.3 रेलवे टेलीफोन नेटवर्क
सभी महत्वपूर्ण कार्यालयों, अधिकारियों, वे स्टेशनों, मंडल मुख्यालय तथा क्षेत्रीय रेलवे के प्रधान कार्यलयों को जोड़ते हुए इन हाउस रेलवे टेलीफोन नेटवर्क उपलब्ध है. रेलवे टेलीफोन एक्सचेंज, रेलवे ओ एफ सी नेटवर्क द्वारा परस्पर एक दूसरे के साथ जुड़े हैं तथा स्टैंड बाई के रूप में बी एस एन एल के किराए चैनलों द्वारा समर्थित हैं.
2.4 वायरलेस संचार प्रणाली
रेल पथ, यांत्रिक, विद्युत और सिगनल व दूरसंचार विभागों के ड्राइवर, गार्ड, पर्यवेक्षक और अधिकारियों को 5 वॉट हैंडहेल्ड वॉकी-टॉकी प्रदान किए गए, वे जिसका उपयोग चलती गाड़ियों और संबंधित स्टेशनों के बीच संचार स्थापित करने के लिए किया जा सकता है. इसके लिए प्रत्येक रेलवे स्टेशन में 25 वाट वीएचएफ सेट व्यवस्थित है.
2.5 डाटा नेटवर्क
सिकंदराबाद और दक्षिण मध्य रेलवे के सभी पीआरएस केंद्रों तथा अन्य महानगरों को जोड़ने वाला एक विशेष पीआरएस नेटवर्क है. ये केंद्र, या तो रेलवे के ओएफसी नेटवर्क से या किराये पर लिये बीएसएनएल चैनलों के माध्यम से जुड़े हुए हैं. इसी तरह माल परिवहन के आवागमन की निगरानी के लिए एक माल प्रचालन प्रबंधन प्रणाली (फ्राइट ऑपरेटिंग मैनेजमेंट सिस्टम) नेटवर्क भी है. कोच प्रबंधन के लिए कोच प्रचालन सूचना प्रणीली (कोच ऑपरेशन इंफॉर्मेशन सिस्टम) नेटवर्क है, जो चालू में है.
2.6 यात्री सुख-सुविधाएं
यात्रियों को सुरक्षित, संरक्षित और आरामदायी यात्रा गाड़ी संचालन में रेलवे का उद्देश्य है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, लगभाग सभी महत्वपूर्ण स्टेशनों में निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान की गयी हैं.
Ø सार्वजनिक उदघोषणा प्रणाली के माध्यम से निरंतर उद्घोषणाएं
Ø इलेक्ट्रानिक डिस्प्ले बोर्ड
2.7 रेलनेट
प्रबंधन के उद्देश्य से रेलवे के लिए अपना स्वयं का डाटा नेटवर्क है, जिसे "रेल नेट" कहा जाता है. इसे फाइल अंतरण, ई-मेईल और सार्वजनिक जानकारी के लिए व्यापक रूप में उपयोग किया जाता है. यह नेटवर्क मंडल के मुख्यालयों, क्षेत्रीय रेलवे के प्रधान कार्यालयों, कारखानों और अस्पतालों को जोड़ने वाली संपूर्ण रेलवे प्रणाली में विस्तारित है.
2.13 बीएसएनएल टेलीफोन:
जनता को गाड़ी की जानकारी देने के लिए सभी रेलवे स्टेशनों पर बीएसएनएल के टेलीफोन उपलब्ध कराए गए हैं.संपर्क करें:
वरिष्ठ मंडल सिगनल व दूर संचार इंजीनियर, मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय परिसर ,
रेलवे स्टेशन के पास, विजयवाड़ा.फोन: 0866-2571188, (रेलवे-6840)
फैक्स:0866-2574302

Source : South Central Railway CMS Team Last Reviewed on: 26-02-2019