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Diesel Locomotives

डीजल चल स्टॉक

Øउद्देश्य

डीजल चल स्टॉक का उद्देश्य माल और यात्री सेवाओं के परिचालन के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल डीजल इंजन उपलब्ध कराना है.

Øहमारे बारे में

प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर के नियंत्रण में कार्यरत डीजलकर्षण विंग एल्को/ एचएचपी डीजल और विद्युत इंजनों की अनुरक्षण और मरम्मत से संबंधित है.

Øसामान्य: संगठन

Øडीज़ल इंजनों की उपलब्धता (01.03.2023 तक ):

इंजनोंकेप्रकार

डीकेजेडजे

(काजीपेट)

डीएलजीवाई(गुत्ती)

डीजीटीएल

(गुंतकल)

डीएमएलवी

(मौलाअली)

डीएलवीडब्ल्यू(विजयवाडा)

दमरे

(कुल)

डब्ल्यूडीएम3

14

27

1

42

डब्ल्यूडीएम 3डी

2

39

6

47

डब्ल्यूडीएम 3एफ

4

4

डब्ल्यूडीजी3

1

20

73

23

117

डब्ल्यूडीजी4

76

112

4

2

194

डब्ल्यूडीजी4डी

65

11

1

3

80

डब्ल्यूडीपी4डी

40

40

डब्ल्यूडीपी4/4बी

13

13

डब्ल्यूडीएस6

3

5

8

कुल

142

178

76

105

44

545

Øलोको शेड

1.डीजल लोको शेड, काजीपेट (डीएलएस/केजेडजे) :

डीजल लोको शेड, काजीपेट की स्थापना 20 इंजनों की बर्थिंग क्षमता के साथ  100 डीजल इंजनों के अनुरक्षण के लिए की गई थी. इस शेड को श्री पी.एन.कौल, महाप्रबंधक/दक्षिण मध्य रेलवे द्वारा दि.21.04.1973 को आरंभ किया गया था.  गुत्तीडीजल शेड के अलावा, डीजल लोको शेड काजीपेटऐसा दूसरा शेड है जो एचएचपीइंजनों का अनुरक्षण करता है. डीजल लोको शेड, काजीपेट ने फरवरी-2019 से विद्युत इंजनों (डब्ल्यूएजी-7 प्रकार) को रखना और जनवरी -2022 से टॉवर कारों का एओएच आरंभ कर दिया  है.

यह शेड काजीपेट और पूर्णा के 140टी बीडीक्रेन और काजीपेट के एसपीएआरटी और एसपीएमआरवी का अनुरक्षण भी कर रहा है.  

क्षेत्र: 60,100 वर्ग मीटर. आवरित क्षेत्र: 19,014 वर्ग मीटर.

2.डीजल लोको शेड, गुत्ती (डीएलएस/जीवाई):

डीजल लोको शेड, गुत्ती मूल रूप से 1963 से पहले एक स्टीम शेड था जिसे बाद में भाप इंजनों के स्थान पर डीजल इंजनों के आरंभ होने से डीजल शेड के रूप में परिवर्तित किया गया. परिवर्तित डीजल शेड का उद्घाटन 05.12.1963 को श्री एच.डी.सिंह, महाप्रबंधक/दक्षिण रेलवे द्वारा किया गया था.  गुत्ती शेड ईएमडी प्रकार के एचएचपी डीजल इंजनों के अनुरक्षण करने वाला दमरे का  पहला डीजल शेड है और इसने बाद में अक्तूबर 2018 से डब्ल्यूएजी9 थ्री फेज़ विद्युत इंजनों का अनुरक्षण आरंभ कर दिया है.

यह शेड गुत्तीके 140टी बीडी क्रेन का अनुरक्षण भी कर रहा है.

क्षेत्र : 1,18,000 वर्ग मीटर. आवरित क्षेत्र :27,000 वर्ग मीटर.

3.डीजल लोको शेड, गुंतकल (डीएलएस/जीटीएल):

डीजल लोको शेड गुंतकल को 30.08.1964 को आरंभ किया गया था और इसका उद्घाटन एमजी डीजल इंजनों के अनुरक्षण के लिए श्री एच.डी.सिंह, महाप्रबंधक/दक्षिण रेलवे द्वारा किया गया था. प्रारंभ में मैसर्स एमएलडब्ल्यू/ कनाडा से आयातित 11 वाईडीएम4/4ए एमजी इंजनों का अनुरक्षण किया  जाता था. 18.10.1995 को यूनी-गेज परियोजना के अंतर्गत इस शेड को बीजी शेड में परिवर्तित किया गया था. अब, गुंतकल शेड बीजी एल्को डीजल इंजनों का अनुरक्षण कर रहा है और डीजल शेड के कर्मचारी डीजल शेड के पास निर्मित नए विद्युत लोको शेड में दिसंबर, 2018 से विद्युत इंजनों का अनुरक्षण भी कर रहे हैं. 

यह शेड गुंतकलके एसपीएमआरवी का अनुरक्षण भी कर रहा है.

क्षेत्र: 82,100 वर्ग मीटरआवरित क्षेत्र: 9,225 वर्ग मीटर

4.डीजल लोको शेड, मौला-अली:

डीजल लोको शेड, मौला-अली की स्थापना वर्ष 1984 में वाईएम1आर,वाईडीएम2 प्रकार के एमजीइंजनों, बीजीशंटिंग डीजल हाइड्रोलिक इंजनों के अनुरक्षण के लिए की गई थी. शेड की गतिविधियों का विस्तार किया गया और यहां डीएमएमयूरेकऔर डब्ल्यूडीएम2 मेन लाइन इंजनों का अनुरक्षण आरंभ किया गया. इसके अलावा शेड ने डब्ल्यूडीएम3,डब्ल्यूडीजी3ए मेन लाइन इंजनों और डीईएमयू रेकों का अनुरक्षण भी आरंभ किया गया है और शेड सिकंदराबाद, निजामाबाद, पूर्णा के एआरटीएस-एसपीएआरटी और एसपीएमआरवी और सिकंदराबाद मंड़ल के 140 टी बीडी क्रेन का अनुरक्षण भी कर रहा है.

क्षेत्र: 1,12,500 वर्ग मीटरआवरित क्षेत्र: 18,000 वर्ग मीटर

5.डीजल लोको शेड, विजयवाडा (डीएलएस/बीजेडए) :

डीजल लोको शेड, विजयवाडा की स्थापना वर्ष 1979 में शंटिंग इंजनों के अनुरक्षण के लिए की गई थी. इसके बाद शेड गतिविधियों में विस्तार हुआ और डब्ल्यूडीपी1/डब्ल्यूडीजी3ए मेन लाइन इंजनों और डीईएमयू रेकों का अनुरक्षण करना आरंभ किया गया. अबशेड डीईएमयू रेक, एल्को इंजनों  का अनुरक्षण कर रहा है और एचएचपी लोको के छोटे शेड्यूल आरंभ किया है. इस शेड में टावर कारों का एओएच भी किया जा रहा है.

 यह शेड विजयवाडा के 140 टी बीडी क्रेन, बिट्रगुंटा, राजमंड्री और गुंटूर के एसपीएमआरवी और एसपीएआरटी का अनुरक्षण भी कर रहा है.

क्षेत्र:  27,000 वर्ग मीटर.आवरित क्षेत्र: 9,442वर्ग मीटर

6.डीजल लोको शेडों में विद्युत इंजनों का अनुरक्षण:

भारतीय रेल पर प्रगतिशील रेल विद्युतीकरण के कारण विद्युत इंजनों की संख्या बढ़ रही है और साथ ही साथ डीजल इंजनों की क्रमिक फेजिंग हो रही है. रेलवे बोर्ड की नीति को अनुसार, डीजल इंजनों की संख्या कम होते जाने  के कारण डीजल शेडों में उपलब्ध अवसंरचनात्मक सुविधाओं का उपयोग विद्युत इंजनों के अनुरक्षण के लिए किया जाना चाहिए.

तदानुसार डीजल शेडों में विद्युत इंजनों का अनुरक्षण किया जा रहा है, विवरण नीचे दिया गया है.

डीएसएलशेड

वर्तमानउपलब्धता

आरंभकरनेकीतारीख

डीएसएल/गुंतकल

79डब्ल्यूएजी7

दिसंबर’2018

डीएसएल/काजीपेट

70 डब्ल्यूएजी7

फरवरी’2019

डीएसएल/गुत्ती

50डब्ल्यूएजी9

अक्तूबर’2018

कुल

199 इंजन

Øगतिविधियां

डीजल लोको शेड में निम्नलिखित गतिविधियां की जाती हैं:

·एल्को, एचएचपी और शंटिंग डीजल इंजनों का अनुरक्षण.

·विद्युत इंजनों का अनुरक्षण- डीएलएस/काजीपेट, गुत्ती और गुंतकल.

·डीएलएस/मौला अली और विजयवाडा में डेमू रेकों का अनुरक्षण.

·एआरटी का अनुरक्षण.

·डीएलएस/काजीपेट, गुत्ती, मौला अली और विजयवाजा द्वारा एआरटी का अनुरक्षण .

·डीएलएस/काजीपेट, गुंतकल और विजयवाजा द्वारा टावर कारों (टीओएच) का अनुरक्षण

Øवर्ष 2022-23 के दौरान दक्षिण मध्य रेलवे का कार्यनिष्पादन (फरवरी'23 तक):

1.माल आउटेज (स्वामित्व)

वर्ष

अप्रैल-मार्च

फरवरी तक

रेलवे बोर्ड  लक्ष्य

वास्तविक

% वृद्धि/कमी

रेलवे बोर्ड  लक्ष्य

वास्तविक

% वृद्धि/कमी

2019-20

310.8

313.6

0.89

311.4

313.4

0.6

2021-22

242.3

278.1

14.8

241.1

279.1

16

2022-23

-

-

-

230.8

264

14.4

2.सांख्यिकीय निष्क्रियता प्रतिशत

वर्ष

अप्रैल-मार्च

फरवरी तक

लक्ष्य

वास्तविक

% वृद्धि/कमी

लक्ष्य

वास्तविक

% वृद्धि/कमी

2019-20

7.9

5.4

31.6

7.9

5.5

30

2021-22

7.57

4.9

35.2

7.6

4.8

37

2022-23

-

-

-

7.2

4.6

36

3.स्वामित्व के आधार पर उपकरणों की खराबियां

वर्ष

अप्रैल-मार्च

फरवरी तक

खराबी/100 इंजन

(फरवरी तक)

2019-20

352

323

0.47

2021-22

252

236

0.47

2022-23

-

204

0.42

4.स्वामित्व के आधार पर समयपालन

वर्ष

घटनाएं

2019-20

185

2019-20 (फरवरी तक)

176

2021-22 (फरवरी तक)

32

2022-23 (फरवरी तक)

79

Øडीजल इंजनों में उपलब्ध सुविधाएं:

1.ऑक्सलरी पॉवर यूनिट (एपीयू) :

एपीयू (ऑक्सलरी पॉवर यूनिट) एक साधारण उपकरण है जिसमें छोटे डीजल इंजन, कंप्रेसर और 3 फेज अल्टरनेटर होते हैं. आंकड़े दर्शाते हैं कि एक मालगाड़ी के चालन समय का 50% समय निष्क्रिय होता है जिसके कारण काफी ईंधन की खपत होती है जो अनावश्यक है और  परिणामस्वरूप अवांछित उत्सर्जन होते हैं. इससे बचने के लिए, डीजल इंजनों पर एपीयू लगाए गए है ताकि इंजनों के महत्वपूर्ण परिचालन पैरामीटर जैसे एमआर दबाव, बैटरी वोल्टेज को बनाए रखा जा सके और मेन इंजन को बंद रख सके और परिणामस्परूप तत्संबंधी ईंधन की बचत हो सके. एपीयू प्रणाली मेन इंजन की निष्क्रियता को दूर करते हुए लगभग 14 लीटर प्रति घंटे ईंधन बचत करती है. एपीयू के उपयोग की मानीटरी द्वाराअप्रैल' 2022 से फरवरी' 2023 तक कुल 4.06 करोड़ रुपये मूल्य के  374 किलो लीटर एचएसडी तेल की बचत की गई.

2.इंजन और गाडी प्रणाली की रिमोट मॉनिटरी (आरईएमएमएलओटी):

इंजन और गाड़ियों की रिमोट मॉनिटरी(आरईएमएमएलओटी) एक ऐसी प्रणाली हैजो इंजन की क्षमता और कार्यनिष्पादन को ऑनलाइन उपलब्ध  कराती है और इंजन के प्रभावी परिचालन और अनुरक्षण में सुधार लाती है. आरईएमएमएलओटीइंजन स्थल, परिचालनिक मानदंड, क्षमता, ईंधन लेवल डेटा, फॉल्ट लॉग संबंधी जानकारी, लाइफ-टाइम काउंटर और इवेंट रिकॉर्डर डेटा उपलब्ध करता है. गंभीर खराबियों की ऑटोमैटिक अलर्ट संबंधित शेडों को भेजे जाते हैं.

3.डिस्ट्रिब्यूटेड पॉवर नियंत्रण प्रणाली (डीपीसीएस) :

डीपीसीएस, संपूर्ण गाडी में विभिन्न स्थानों पर कई इंजनों का उपयोग करने की अनुमति देता है. यह प्रणाली वर्तमान चल स्टॉक का लाभ उठाते हुए इंजनों के मामूली उन्नयन द्वारा बहुत लंबी गाड़ियों को चलाने की सुविधा प्रदान करती है. बेतार लिंक (आरएफ संचार) द्वारा "मास्टर" लोकोमोटिव से "रिमोट" लोकोमोटिव को दिए गए कर्षण, ब्रेकिंग, डायनमिक ब्रेकिंग या मास्टर यूनिट के लोको पायलट द्वारा किए गए अन्य कार्य और रिमोटयूनिट में दोहराए जाने वाले (ट्रांसमिटेड) कमांडों को एक साथ दोहराया जाता है और पालन किया जाता है.

वर्तमान में, 37डब्ल्यूडीजी4/डब्ल्यूडीजी4डी इंजनों में डीपीसीएस लगाए गए हैं.

4.गाड़ी टक्कर निवारण प्रणाली (टीसीएएस):

गाड़ी टक्कर निवारण प्रणाली (टीसीएएस) स्वदेश में विकसित एक स्वचालित गाडी सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है जो खतरे की स्थितिमें सिगनल पार करने (एसपीएडी) में, अधिक गति और टक्करों से गाड़ी को सुरक्षा प्रदान करती है. टीसीएएस संचलन प्राधिकार का निरंतर अपडेट उपलब्ध करता है (दूरी जहां तक गाड़ी को बिना किसी खतरे की चलने की अनुमति है).  

असुरक्षित स्थितियों के दौरान जब ब्रेक लगाना आवश्यक हो जाए और कर्मी दल ऐसा करने में विफल हो या ऐसा करने की स्थिति में न हो तो, तब ऑटोमैटिक ब्रेक अप्लिकेशन होता है. टीसीएएस, लोको पायलट के कैब में गति, स्थान, अगले सिगनल तक की दूरी, सिगनल पहलू आदि की सूचना प्रदर्शित करता है और आपात स्थिति में इंजन के साथ-साथ स्टेशन यूनिट से ऑटो और मैनुअल एसओएस संदेश (आपदा संदेश) उत्पन्न करने की अतिरिक्त विशेषता रखता है.

वर्तमान में, 60ALCO डीजल इंजनों में टीसीएएसलगाए गए हैं.

Øहमसे संपर्क करें

ईमेल: cmpedslscr@gmail.com

dycmedslscr@gmail.com





Source : दक्षिण मध्‍य रेलवे CMS Team Last Reviewed : 01-04-2023  


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